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29-06-24 Hindi Bible Reading

· 29.06.2024 · 01:30:04 ··· Samstag ⭐ 3 🎬 4 📺 Mahima AG Church
इफिसियों 5:1‭-‬33
इसलिये प्रिय बालकों के समान परमेश्‍वर का अनुकरण करो, और प्रेम में चलो जैसे मसीह ने भी तुम से प्रेम किया, और हमारे लिये अपने आप को सुखदायक सुगन्ध के लिये परमेश्‍वर के आगे भेंट करके बलिदान कर दिया। जैसा पवित्र लोगों के योग्य है, वैसा तुम में व्यभिचार और किसी प्रकार के अशुद्ध काम या लोभ की चर्चा तक न हो; और न निर्लज्जता, न मूढ़ता की बातचीत की, न ठट्ठे की; क्योंकि ये बातें शोभा नहीं देतीं, वरन् धन्यवाद ही सुना जाए। क्योंकि तुम यह जानते हो कि किसी व्यभिचारी, या अशुद्ध जन, या लोभी मनुष्य की, जो मूर्तिपूजक के बराबर है, मसीह और परमेश्‍वर के राज्य में मीरास नहीं। कोई तुम्हें व्यर्थ बातों से धोखा न दे, क्योंकि इन ही कामों के कारण परमेश्‍वर का क्रोध आज्ञा न माननेवालों पर भड़कता है। इसलिये तुम उनके सहभागी न हो। क्योंकि तुम तो पहले अन्धकार थे परन्तु अब प्रभु में ज्योति हो, अत: ज्योति की सन्तान के समान चलो (क्योंकि ज्योति का फल सब प्रकार की भलाई, और धार्मिकता, और सत्य है), और यह परखो कि प्रभु को क्या भाता है। अन्धकार के निष्फल कामों में सहभागी न हो, वरन् उन पर उलाहना दो। क्योंकि उनके गुप्‍त कामों की चर्चा भी लज्जा की बात है। पर जितने कामों पर उलाहना दिया जाता है वे सब ज्योति से प्रगट होते हैं, क्योंकि जो सब कुछ को प्रगट करता है वह ज्योति है। इस कारण वह कहता है, “हे सोनेवाले, जाग और मुर्दों में से जी उठ; तो मसीह की ज्योति तुझ पर चमकेगी।” इसलिये ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो: निर्बुद्धियों के समान नहीं पर बुद्धिमानों के समान चलो। अवसर को बहुमूल्य समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं। इस कारण निर्बुद्धि न हो, पर ध्यान से समझो कि प्रभु की इच्छा क्या है। दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इससे लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ, और आपस में भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने–अपने मन में प्रभु के सामने गाते और कीर्तन करते रहो। और सदा सब बातों के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से परमेश्‍वर पिता का धन्यवाद करते रहो। मसीह के भय से एक दूसरे के अधीन रहो। हे पत्नियो, अपने अपने पति के ऐसे अधीन रहो जैसे प्रभु के। क्योंकि पति पत्नी का सिर है जैसे कि मसीह कलीसिया का सिर है और स्वयं ही देह का उद्धारकर्ता है। पर जैसे कलीसिया मसीह के अधीन है, वैसे ही पत्नियाँ भी हर बात में अपने अपने पति के अधीन रहें। हे पतियो, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो जैसा मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम करके अपने आप को उसके लिये दे दिया कि उसको वचन के द्वारा जल के स्‍नान से शुद्ध करके पवित्र बनाए, और उसे एक ऐसी तेजस्वी कलीसिया बनाकर अपने पास खड़ी करे, जिसमें न कलंक, न झुर्री, न कोई और ऐसी वस्तु हो वरन् पवित्र और निर्दोष हो। इसी प्रकार उचित है कि पति अपनी अपनी पत्नी से अपनी देह के समान प्रेम रखे। जो अपनी पत्नी से प्रेम रखता है, वह अपने आप से प्रेम रखता है। क्योंकि किसी ने कभी अपने शरीर से बैर नहीं रखा वरन् उसका पालन–पोषण करता है, जैसा मसीह भी कलीसिया के साथ करता है। इसलिये कि हम उसकी देह के अंग हैं। “इस कारण मनुष्य अपने माता–पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा, और वे दोनों एक तन होंगे।” यह भेद तो बड़ा है, पर मैं यहाँ मसीह और कलीसिया के विषय में कहता हूँ। पर तुम में से हर एक अपनी पत्नी से अपने समान प्रेम रखे, और पत्नी भी अपने पति का भय माने।

1 इतिहास 27:1‭-‬34
इस्राएलियों की गिनती, अर्थात् पितरों के घरानों के मुख्य मुख्य पुरुषों और सहस्रपतियों और शतपतियों और उनके सरदारों की गिनती जो वर्ष भर के महीने महीने उपस्थित होने और छुट्टी पानेवाले दलों के थे और सब विषयों में राजा की सेवा टहल करते थे, एक एक दल में चौबीस हज़ार थे। पहले महीने के लिये पहले दल का अधिकारी जब्दीएल का पुत्र याशोबाम नियुक्‍त हुआ; और उसके दल में चौबीस हज़ार थे। वह पेरेस के वंश का था और पहले महीने में सबसेनापतियों का अधिकारी था। दूसरे महीने के दल का अधिकारी दोदै नामक एक अहोही था, और उसके दल का प्रधान मिक्लोत था, और उसके दल में चौबीस हज़ार थे। तीसरे महीने के लिये तीसरा सेनापति यहोयादा याजक का पुत्र बनायाह था, और उसके दल में चौबीस हज़ार थे। यह वही बनायाह है, जो तीसों शूरों में वीर, और तीसों में श्रेष्‍ठ भी था; और उसके दल में उसका पुत्र अम्मीजाबाद था। चौथे महीने के लिये चौथा सेनापति योआब का भाई असाहेल था, और उसके बाद उसका पुत्र जबद्याह था, और उसके दल में चौबीस हज़ार थे। पाँचवें महीने के लिये पाँचवाँ सेनापति यिज्राही शम्हूत था, और उसके दल में चौबीस हज़ार थे। छठवें महीने के लिये छठवाँ सेनापति तकोई इक्‍केश का पुत्र ईरा था, और उसके दल में चौबीस हज़ार थे। सातवें महीने के लिये सातवाँ सेनापति एप्रैम के वंश का हेलेस पलोनी था, और उसके दल में चौबीस हज़ार थे। आठवें महीने के लिये आठवाँ सेनापति जेरह के वंश में से हूशाई सिब्बकै था, और उसके दल में चौबीस हज़ार थे। नौवें महीने के लिये नौवाँ सेनापति बिन्यामीनी अबीएजेर अनातोतवासी था, और उसके दल में चौबीस हज़ार थे। दसवें महीने के लिये दसवाँ सेनापति जेरही महरै नतोपावासी था, और उसके दल में चौबीस हज़ार थे। ग्यारहवें महीने के लिये ग्यारहवाँ सेनापति एप्रैम के वंश का बनायाह पिरातोनवासी था, और उसके दल में चौबीस हज़ार थे। बारहवें महीने के लिये बारहवाँ सेनापति ओत्नीएल के वंश का हेल्दै नतोपावासी था, और उसके दल में चौबीस हज़ार थे। फिर इस्राएली गोत्रों के ये अधिकारी थे: अर्थात् रूबेनियों का प्रधान जिक्री का पुत्र एलीआजर; शिमोनियों का माका का पुत्र शपत्याह; लेवी का कमूएल का पुत्र हशब्याह; हारून की सन्तान का सादोक; यहूदा का एलीहू नामक दाऊद का एक भाई, इस्साकार का मीकाएल का पुत्र ओम्नी; जबूलून का ओबद्याह का पुत्र यिशमायाह, नप्‍ताली का अज्रीएल का पुत्र यरीमोत;

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